नई दिल्ली, 14 अप्रैल || भारत के कच्चे रेशम उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है, जो 2017-18 में 31,906 मीट्रिक टन (एमटी) से बढ़कर 2023-24 में 38,913 मीट्रिक टन हो गया है, क्योंकि इस अवधि में निर्यात के आंकड़ों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
इस वृद्धि को शहतूत के बागानों के विस्तार से समर्थन मिला है, जो 2017-18 में 223,926 हेक्टेयर से बढ़कर 2023-24 में 263,352 हेक्टेयर हो गया है, जिससे शहतूत रेशम का उत्पादन 2017-18 में 22,066 मीट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 29,892 मीट्रिक टन हो गया है, जैसा कि नवीनतम सरकारी आंकड़ों से पता चलता है।
कुल कच्चे रेशम का उत्पादन 2017-18 में 31,906 मीट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 38,913 मीट्रिक टन हो गया। रेशम और रेशम के सामान का निर्यात 2017-18 में 1,649.48 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 2,027.56 करोड़ रुपये हो गया।
वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCIS) की रिपोर्ट के अनुसार, देश ने 2023-24 में 3348 मीट्रिक टन रेशम अपशिष्ट का निर्यात किया।
इस बीच, 2024-25 की अप्रैल-जनवरी अवधि में कच्चे रेशम का उत्पादन 34,042 मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो 2014-15 की इसी अवधि में 24,299 मीट्रिक टन के इसी आंकड़े से करीब 10,000 टन अधिक है।
भारत रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दुनिया में रेशम का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। भारत में, शहतूत रेशम का उत्पादन मुख्य रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू और कश्मीर तथा पश्चिम बंगाल राज्यों में होता है, जबकि गैर-शहतूत रेशम का उत्पादन झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और उत्तर-पूर्वी राज्यों में होता है।