नई दिल्ली, 11 अप्रैल || पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में प्राकृतिक गैस की खपत 2030 तक करीब 60 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है, क्योंकि देश तेल आयात पर निर्भरता कम करना चाहता है और वाहन चलाने, घरेलू रसोई में खाना पकाने और औद्योगिक उपयोग के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करना चाहता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 और 2040 तक ऊर्जा बास्केट में परिवहन ईंधन के रूप में उर्वरक, बिजली, रिफाइनरियों, पेट्रोकेमिकल, अन्य औद्योगिक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, घरों के साथ-साथ संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की मांग पर विचार किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 'गुड-टू-गो' परिदृश्य के तहत प्राकृतिक गैस की खपत 2023-24 में 188 मिलियन मानक क्यूबिक मीटर प्रतिदिन से बढ़कर 2030 तक 297 एमएमएससीएमडी हो जाने की उम्मीद है, जो मौजूदा रुझानों और प्रतिबद्धताओं के आधार पर मध्यम वृद्धि और विकास को मानता है।
इसी परिदृश्य के तहत 2040 तक खपत बढ़कर 496 एमएमएससीएमडी होने का अनुमान है।
'गुड टू बेस्ट' परिदृश्य के तहत, जो त्वरित प्रगति, अनुकूल नीति कार्यान्वयन और बढ़े हुए निवेश को ध्यान में रखता है, जिससे अपेक्षा से अधिक वृद्धि होती है, खपत 2030 तक 365 एमएमएससीएमडी और 2040 तक 630 एमएमएससीएमडी तक बढ़ सकती है।
सरकार का लक्ष्य देश की प्राथमिक ऊर्जा टोकरी में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6-6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत करना है। देश 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण कर रहा है, इसलिए गैस को सेतु ईंधन माना जा रहा है।