नई दिल्ली, 12 अप्रैल || यू.के. के शोधकर्ताओं की एक टीम ने नवजात शिशुओं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं सहित उच्च जोखिम वाले रोगी समूहों में सेप्सिस का समय रहते पता लगाने के लिए एक शक्तिशाली डायग्नोस्टिक बायोमार्कर के रूप में इंटरल्यूकिन-6 (IL-6) की क्षमता पाई है।
सेप्सिस, संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली की अति प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप होने वाली एक जीवन-धमकाने वाली स्थिति है, जो वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण बनी हुई है, जिसके कारण प्रतिवर्ष लगभग 11 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है।
छोटे बच्चे, विशेष रूप से पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे और गर्भवती महिलाएँ प्रतिरक्षात्मक परिवर्तनों और बढ़ी हुई संवेदनशीलता के कारण अत्यधिक संवेदनशील होते हैं।
अध्ययन में संदिग्ध सेप्सिस वाले 252 रोगियों (111 बाल चिकित्सा, 72 प्रसूति और 69 नवजात मामले) के क्रमिक रक्त नमूनों का विश्लेषण किया गया।
परिणामों से पता चला कि IL-6 ने जीवाणु और गैर-जीवाणु संक्रमणों में अंतर करने में पारंपरिक बायोमार्कर से लगातार बेहतर प्रदर्शन किया।
अध्ययन में बताया गया कि "IL-6 सेप्सिस की गंभीरता को भी प्रभावी ढंग से वर्गीकृत करता है, हल्के संक्रमण, सेप्सिस और सेप्टिक शॉक के बीच अंतर करता है, जो समय पर और उचित उपचार का मार्गदर्शन करने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षमता है।" टीम ने बताया कि कैसे IL-6 के पारंपरिक बायोमार्कर पर महत्वपूर्ण लाभ हैं।